Tuesday, December 20, 2011


दिल आखिर तू क्यूँ रोता है
जब -जब दर्द का बादल छाया
जब गम का साया लहराया
जब आंसू पलकों तक आया
जब यह तनहा दिल घबराया
हमने दिल तो यह समझाया
दिल आखिर तू क्यों रोता है
दुनिया में यूँही होता है
ये तो गहरे सन्नाटे हैं
वक्त ने सबको ही बांटे हैं
थोडा गम है सबका किस्सा
थोड़ी धुप है सबका हिस्सा
आखें तेरी बेकार ही नम है
हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है

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